जिसके पास पैसा है वही चुनाव में विजयी है इस बात को झूठा साबित कर दिया है एटा जनपद से निकल कर आयी एक मनरेगा मजदूर की कहानी ने।
केवल नामांकन राशि में जीता चुनाव
एटा के ग्राम पंचायत बेरनी में गाँववालो के कहने पर गाँव के ही मनरेगा व दिहाड़ी मजदूर विजय सिंह ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया,इस गाँव में बेरनी के अलावा शाहगढ़ी,नगला राधे,रामरायपुर गाँव भी आते है,इन सब की आबादी कुल मिलाकर 3552 है। इस बार इस गाँव में ग्राम प्रधानी की सीट अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित थी,यह सब गाँव सवर्ण बहुलता वाले गाँव है,वहीं गाँव वालों ने विजय सिंह को अपना पर्चा दाखिल करने के लिये कहा जिस पर विजय सिंह ने लोंगो के कहे अनुसार पर्चा दाखिल कर दिया। वहीं विजय सिंह की आर्थिक स्थिति पर नजर डाले तो उन्होंने जैसे तैसे पैसों का बंदोबस्त करके नामांकन किया था।
विजय सिंह ने चुनाव के दौरान प्रचार में एक भी रुपया नहीं खर्च किया साथ ही लोंगो से पैर छूकर और हाथ जोड़कर वोट माँगे। मतगणना के दिन जब परिणाम आया तो उनके विरोधी चौंक गये कड़े संघर्षशील मुकाबले में उन्होंने 52 मतों से विजयी पायी। जानकारी के मुताबिक विजय सिंह के प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों द्वारा लाखों रुपये का खर्च गाँव में किया गया। विजय सिंह बताते है कि रुपये न होने के कारण खाने-पीने की व्यवस्था न कर पाने की वजह से उन्हें अपने पक्ष में मतदाताओं को करने के लिये कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।