कर्नाटक के मैसूर ज़िले से एक जिंदादिली व पिता का फर्ज अदा करने वाली नायाब कहानी सामने आयी है। मैसूर ज़िले के कोप्पलू गाँव के रहने वाले आंनद ने अपने संतान की जान बचाने के लिये 300 किलोमीटर साइकिल चला दवा लाये,आनंद के इस संतान प्रेम की चारों तरफ़ चर्चा हो रही है,वहीं लोग सरकार की व्यवस्थाओं के बारें में भी सवाल उठा रहे है।
जानकारी के मुताबिक कर्नाटक में मौजूदा समय में लॉकडाउन लागू है,तथा सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से ठप है,वहीं आनंद के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह प्राइवेट वाहन करके अपने बेटे के लिये दवा ला सकें। आनंद ने बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने बेटे की दवाईयों के बारें में यहाँ पता किया था मगर यह दवाइयाँ यहाँ उपलब्ध नहीं थी,मेरे बेटे की दवाइयां ऐसी थी जो एक दिन के लिये भी बंद नहीं की जा सकती थी,जिसके कारण मैं साइकिल से बेंगलुरु के लिये रवाना हुआ,इन दवाइयों को यहाँ लाने में मुझे तीन दिन का टाइम लगा।
वहीं आगे उन्होंने उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें भरोसा दिया है कि मेरे बेटे ने अगर 18 साल की उम्र तक लगातार दवाइयों का सेवन किया तो वह अन्य बच्चों की तरह सामान्य हो जायेगा,वहीं आपको बता दें कि लगातार तीन दिनों तक साइकिल चलाने के कारण आनंद के पैरों में छाले पड़ गये है।