ये कहानी है, “गंगा” से “गंगूबाई” बनने की, या यूं कह ले… ये कहानी है… एक “अभिनेत्री” बनने का सपना पाले उस लड़की के Prostitute बनने से लेकर समाज मे Prostitute को कानूनी हक दिलाने की।
संजय लीला भनशाली ऐसे Director है जो अपने Artist से हर किरदार के लिए कड़ी मेहनत करवाते है, जो कि इस Film में Alia की Acting देख कर साफ प्रतीत होता है। ‘2’ Dance Sequence और ‘1’ Dialogue Sequence में Alia ने Long Take Shot देकर अपनी प्रिपक्ता दिखाई है, जो किसी भी कलाकार के लिए बहुत मुश्किल होता है।
Story :
फ़िल्म की कहानी “गंगा” (Alia Bhat) के अभिनेत्री बनने के सपने से शुरू होती है। बाद में “गंगा” के एक दोस्त के वादा करने पर की वो मुम्बई में उसको अभिनेत्री बना देगा। ये सुन कर “गंगा” उसके साथ मुम्बई जाने को तैयार हो जाती है, और अपने मम्मी पापा को बिना बताए लड़के के साथ घर से भाग निकलती है। मुम्बई जा कर “गंगा” से “गंगू” और फिर “गंगूबाई” बनने के बीच Film की पूरी कहानी घूमती है और जगह – जगह पर “वेश्यावृत्ति” से जुड़े कई सारे समाजिक मुद्दों को Director ने कहानी के द्वारा दर्शको तक पहुचाने की कोशिश की है।
कहानी में कई बार समाज मे Prostitute को लेकर उठने वाले हर सवाल को बखूबी ढंग से दिखाया गया है। ऊंचे वर्ग के लोगो द्वारा उनपे उठाये जाने वाले सवालों का भी जवाब, Director ने बड़े ही अच्छे अंदाज में दिखाया है। चाहे वो Prostitute के बच्चों की पढ़ाई को लेकर हो, या Prostitute को कानूनी हक दिलाने की लड़ाई में गंगूबाई कैसे उस वक्त के प्रधानमंत्री (जवाहरलाल नेहरू) से अपनी बातें रखती है, ये सब आपको फ़िल्म खत्म होते पता चल जाएगा।
Actors Performance :
Alia bhat को पहली बार ऐसे किरदार में देखना काफी दिलचस्प है। उन्होंने इस Film में अपनी जबरदस्त Acting से ये बता दिया को वो ऐसे चुनौतीपूर्ण किरदार को भी आगे कर सकती है। उनकी आवाज़, हाव भाव, चाल – ढाल देख ऐसा लगता है कि Alia ने अपने किरदार पर मेहनत किया है। Razia Bai के Role में Vijay Raaz का काम काफी कम है, लेकिन जितनी बार वो पर्दे पर आते है, बवाल कर के जाते है। हालांकि Vijay Raaz जैसे कलाकार को और ज्यादा Space दिया जाना चाहिए था। Ajay Devgan का Screen Time भी काफी कम रखा गया है। Seema Bhargava जिन्हें हमने Bareli ki Barfi में Kriti Sanon की माँ के किरदार में देखा था, उन्हें इस फ़िल्म में एक Prostitute के किरदार में देख दर्शक चौक से जाते है, लेकिन Seema Bhargava ने इस फ़िल्म में भी अपने जबरदस्त काम से दर्शको का दिल जीतने में कामयाब हो पाई है। Jim Sarbh एक पत्रकार की भूमिका में अच्छा काम किया है। Jim Sarbh इससे पहले Padmavat में मालिक काफूर के किरदार में दिखे थे। Film में 3 Sec के लिए एक Frame में आपको Ajay Devgan के साथ Raza Murad भी दिखते है और एक छोटा सा Dialogue बोलते है, लेकिन उन्हें महज 3 Sec के लिए क्यों दिखाया गया, ये सवाल दर्शको के जहन में उठते है।
Music & Background Score :
Film में गाने ठीक ठाक है, एक गाना “Huma Qureshi” पर भी फिल्माया गया है, अगर उसको छोड़ दे तो कोई गाना दर्शको की जुबान पर नही चढ़ता है। Film का Background Score “Sanjay Lila Bhanshali” की बाकी फ़िल्म से थोड़ा कमजोर लगता है, दर्शक खुद को कहानी से जोड़ नही पाते।
Camera Work :
Cinematography की बात करे तो, यहां तारीफ करना बनता है। Film में 4, 5 ऐसे Long Shot रहे जिसे देख आपको Cinematographer के बेहरतीन काम का पता चलता है। कुछ ऐसे Close Shot रहे जिन्हें Camera में काफी अच्छे से कैद किया गया है।
क्यों देखें ये Film ?
फ़िल्म के आखरी कुछ Scene में गंगूबाई (Alia Bhat) का एक मंच से “भाषण” देना, वो Scene दर्शको को बांध कर रखता है, “गंगुबाई” के उस Scene में कुछ अच्छे Dialogue है जो दर्शकों के ज़ुबान पर आसानी से चढ़ जाएंगे।
कुल मिलाकर अगर आप Sanjay Lila Bhanshali के काम के फैन है और “गंगुबाई” की कहानी जानने में दिलचस्पी रकहते है, तो फ़िल्म एक बार देख सकते है।
Film का एक Dialogue जहा “गंगुबाई” ये कहती है कि “वेश्यावृत्ति” से ही हिंदुस्तान की संस्कृति बची है… ये बात दर्शकों को थोड़ी खटकती है, आप इस Dialogue पे क्या विचार रखते है ???