कहानी उत्तराखंड के धारचूला की है जहाँ युवाओं के जज़्बे को सभी सलाम कर रहे है जिन्होंने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान व अभी भी दुर्गम पहाड़ो में चढ़ लोगों को दवाएं पहुँचा रहे है। आपको बता दें कि दुर्गम पहाड़ों में खराब सड़कों और खराब Connectivity के कारण अन्य सुविधाएं और अधिकारी भी लोंगो तक नहीं पहुँच पाते है ऐसे में शहर में रहने वाले रंग Community के सदस्यों ने कोरोना के हालात को देखते हुये अपने अपने घर जाने का फैसला किया।
घर लौटते ही युवाओं ने स्थिति को देखते हुये अपने अभियान को गति दे दी। वहीं दूसरी तरफ 2000 मीटर से 3600 मीटर तक की ऊँचाई भरी जगहों में राहत का कार्य करना काफी जोखिम भरा था लेकिन युवाओं के बुलंद हौसलों के चलते धारचूला सुदूर इलाकों में भी मदद पहुँचायी गयी,जिसमें से दवाएं,ऑक्सीमीटर,थर्मामीटर,मास्क,थर्मल स्कैनर, सैनिटाइजर और दस्ताने शामिल है।
इन इलाकों में युवाओं को यह सब पहुँचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि खराब मौसम के कारण सड़कें Block हुई तो परिवहन के सारे रास्ते बंद हो गये। ऐसी स्थिति में युवाओं ने कंधे में सारा सामान रखकर पहाड़ो और ग्लेशियरों के बीच से गुजर राहत कार्य जारी रखा।