जोड़-तोड़ व दमखम का चुनाव कहे जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में Yogi सरकार Fail नजर आ रही है। पूर्ववत सरकारों के इतिहास को उठा करके देखें तो शासन का दवाब अलग ही नज़र आता था। बात करें अगर समाजवादी पार्टी के शासनकाल की तो Yogi सरकार काफी पीछे है। अखिलेश यादव के शासनकाल में UP के 75 जिलों से 38 जिलों में निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गये थे। वहीं इस बार के पंचायत चुनाव में 22 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गये है। जिनमें से भाजपा के 21 निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष है वहीं एक सीट सपा के खाते में है। अब की परिस्थितियों के साथ पिछला देखा जाये तो दुगने का अंतर समझ आता है। अगले महीने की 3 जुलाई को 53 जिलों में मतदान और मतगणना होनी है। इन चुनावों में Yogi सरकार के ऊपर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व BSP सुप्रीमो मायावती धांधली और गुंडागर्दी का आरोप लगा रहे है लेकिन ये आरोप कहीं न कहीं बेमानी साबित हो रहे है। सपा ने अपने शासनकाल में 75 जिलों में से 63 जिलों में सत्ता पायी,इस बार भाजपा ने 65 प्लस का टार्गेट रखा है। वहीं सत्ता पक्ष दोगुने अंतर के आस पास भी नहीं फटक पाया है,ऐसे में आरोप लगाने से पहले पूर्ववत सरकारों को अपने शासनकाल के बारे में सोचना चाहिये।